दृष्टिकोण

यूपी चुनाव: नेहरू को बदनाम कर भाजपा जुटा पाएगी वोट ?

Written by Vaarta Desk

भाजपाके आईटी सेलके प्रमुख बताए जाते हैं-अमित मालवीय।जाहिर सी बात है-सोशल मीडिया पर उनके पोस्टको भाजपाका आधिकारिक दृष्टिकोण माना जाता है।पिछले 7वर्षों से नेहरूकी कुछ तस्वीरोंके आधार पर उनको चरित्रहीन और ऐय्याश ठहरानेकी कोशिश की जाती रही है।अमित मालवीयने ऐसी ही 9तस्वीरोंका कोलाज सोशल मीडिया पर जारी की है।आइए,इन तस्वीरों का सच जानिए।

सार्वजनिक रूपसे नेहरूको उनके गाल पर चुंबन देने वाली यह महिला कोई और नहीं बल्कि उनकी सगी बहन विजयलक्ष्मी पंडित हैं।सन्1949 में,विजयलक्ष्मी पंडित अमेरिकामें भारतकी राजदूत थीं।अमरीका की राजकीय यात्रा पर नेहरूके पहुंचने पर उनका स्वागत करते हुए दिखाई दे रही हैं।

इस फोटो में पंडित नेहरू सार्वजनिक रूपसे एडविना माउंटबेटनके साथ कोई हंसी-मजाक वाली बात कहते हुए नजर आ रहे हैं।इस तस्वीर में गंदगी ढूंढ़ना भाजपा की गंदी मानसिकता का परिचायक है।

इसमें भी नेहरूके साथ उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित हैं।यह उस समय की है,जब वह रूसमें राजदूत थीं और दिल्ली एयरपोर्ट पर उनके भाई-नेहरू-उनका स्वागत कर रहे हैं।

इस फोटोमें नेहरू सिगरेट पी रहे हैं।

इस में नेहरू मृणालिनी साराभाई को बधाई दे रहे हैं। यह सन् 1948में दिल्लीमें मृणालिनीकी प्रस्तुति ‘मनुष्य’के बाद की फोटो है।मृणालिनी साराभाईकी माँ अम्मु स्वामीनाधन एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं और नेहरूके साथ उनके आत्मीय पारिवारिक संबंध थे,यही नहीं उनके पिता प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाईका भी नेहरूके साथ आत्मीय रिश्ता था।इस तस्वीरमें गंदगी ढूंढ़ना भाजपा की गंदी सोचको दर्शाता है।

वर्ष 1962में जॉन एफ कैनेडीने भारतकी यात्रा की थी।इस फोटोमें,नेहरू उनकी पत्नी जैकलीन कैनेडीके माथे पर स्‍वागत-प्रथाके तौर पर तिलक लगा रहे हैं।
राष्ट्रीय संस्कृति की स्वयंभू ठीकेदारी भाजपा को इस तस्वीर में गंदगी दिखती है।

नेहरू सिगरेट पीते थे।इस फोटोमें वह भारतमें ब्रिटिश एयरवेज(तत्कालीन बीओएसी)की पहली उड़ानके मौके पर विमान पर ब्रिटिश उपउच्चायुक्त की पत्नी,श्रीमती सिमोन के लिए सिगरेट जला रहे हैं।

इसमें नेहरू,एडविना माउंटबेटनकी छोटी बेटी 18वर्षीय पामेलाके साथ दिख रहे हैं।पामेला माउंटबेटन अपने माता-पिताके साथ हैं और वह नई दिल्लीमें पंडित नेहरूको अलविदा कह रही हैं।

इसमें,1955में लंदन एयरपोर्ट पर नेहरूके आगमन पर उनकी भांजी नयनतारा सहगल उन्हें चुंबन दे रही हैं।इसमें उनकी माँ,विजयलक्ष्मी पंडित भी दिख रही हैं जो उस समय इंग्लैंडमें उच्चायुक्त थीं।

अमित मालवीय के इस पोस्ट के अतिरिक्त भी सोशल मीडिया पर कुछ अन्य तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर तैरते रहती हैं,मसलन

1.झूठा दावा
आरएसएस शाखामें नेहरूने भाग लिया

एक तस्वीरको इस संदेशके साथ पोस्ट किया गया- बहुत मुश्किलसे फोटो मिला है ये-नेहरूजी आरएसएस की शाखामें खड़े हैं!अब बता भी दो कि क्या नेहरू जी भी भगवा आतंकी थे…”।

तस्वीर पंडित नेहरूकी ही है,लेकिन वह आरएसएस शाखामें भाग नहीं ले रहे हैं।वर्ष1939की तस्वीर नैनी में खींची गई थी।नेहरू सफेद टोपीमें है,जबकि आरएसएसकी वर्दीमें तब टोपी काली होती थी,सफेद नहीं।

2.झूठा उद्धरण:
मैं जन्मकी दुर्घटनासे हिंदू हूं-नेहरू

पिछले कुछ सालों से नेहरूका एक बयान ऑनलाइन प्रसारित है-मैं शिक्षासे अंग्रेज,संस्कृतिसे मुस्लिम और केवल दुर्घटनावश हिन्दू हूं।

यह बयान नेहरूका नहीं,हिंदू महासभाके नेता एनबी खरे का है,जिन्होंने पहली बार 1959में दावा किया था कि नेहरूने इन शब्दोंको अपनी आत्मकथामें कहा है। यह कथन नेहरूकी आत्मकथा में कहीं भी नहीं है।

3.झूठा दावा:
नेहरूने सुभाषचंद्र बोसको‘युद्धअपराधी’ कहा

नेहरूका ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटलीको लिखा तथाकथित पत्र खूब शेयर किया गया है,जिसमें सुभाषचंद्र बोसको-युद्ध अपराधी-कहा है।पत्रकी तारीख 27दिसंबर,1945 दर्ज है,जबकि अगस्त,1945में ही ताइवानमें हुए एयरक्रैशमें बोसकी मृत्यु बताई जाती है।

यह पत्र नेहरू द्वारा नहीं लिखा गया था।27दिसंबर,1945को नेहरू दिल्लीमें नहीं थे।

4.झूठा दावा:
बोसकी तस्वीरवाले नोटोंको नेहरूने खत्म करवाया

ये नोट स्वतंत्रता पूर्व भारतमें आजाद हिंद बैंक द्वारा जारी किए गए थे,जिसे अंग्रेजोंके खिलाफ आजाद हिंद फौजके युद्ध प्रयासोंको वित्त पोषणके लिए1944 में म्यांमारके रंगूनमें स्थापित किया गया था।ये करेंसी नोट,कभी कानूनी मुद्रा नहीं रहे।

5.झूठा दावा:
शिक्षा नीति पर ब्रिटिश मंत्री द्वारा नेहरूकी आलोचना

एक वीडियोमें एक बुजुर्ग सज्जन नेहरूकी शिक्षानीति की आलोचना करते हैं।दावा है कि यह व्यक्ति ब्रिटिश कैबिनेट के पहले मुस्लिम मंत्री हैं।

उक्त वीडियोको यूट्यूब पर‘हिंदू अकादमी’ चैनल द्वारा पोस्ट किया गया था।हिंदू अकादमी,ब्रिटेन स्थित एक संगठन है,जो ब्रिटेनके स्कूलोंमें हिंदू धर्मको बढ़ावा देने और पढ़ानेमें शामिल है।वीडियोमें दिखनेवाले व्यक्ति ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री नहीं,बल्कि जय लखानी हैं,जो अपने ट्विटर प्रोफाइल पर खुदको सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और हिंदू धर्म के शिक्षक बताते हैं।

6.झूठा दावा:
भीड़ द्वारा नेहरूकी पिटाई

नेहरू की एक तस्वीर इस दावेके साथ शेयरकी गई है कि 1962के चीनयुद्धमें भारत की हार के बाद उन्हें भीड़ने मारा था।यह तस्वीर वास्तवमें 1962 की ही है, मगर इसे भारत-चीन युद्ध से पहले लिया गया था। वह फोटो जनवरी,1962में पटनामें आयोजित कांग्रेस अधिवेशनके दौरान ली गई थी।सभामें भगदड़ हो गई थी और नेहरूने व्यवस्था बहाल करनेके प्रयासमें भीड़ में जानेकी कोशिश की,लेकिन सुरक्षाकर्मियोंने रोक लिया था।

उपरोक्त तमाम तथ्य इस बात को रेखांकित करते हैं कि भाजपा नेहरू के व्यक्तित्व और कृतित्व,उनके ऐतिहासिक योगदान और विरासत, युगपुरुषकी उनकी छवि और लोकप्रियतासे डरी सहमी रहती है और नेहरूको बदनाम करनेके लिए निरंतर झूठ,मनगढ़ंत और बेबुनियाद बातोंका सहारा लेने का कुत्सित प्रयास करते रहती है।उसे यह एहसास है कि नेहरूकी लोकप्रियताको अगर किसी पार्टीने प्रभावशाली ढंगसे उपयोग किया,तो कभी भी भाजपाके चुनावी मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

नेहरूका पारिवारिक मुख्यालय इलाहाबाद था।उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबादमें ही वकालत करते थे।उनका आवास आनन्द भवन या स्वराज भवन देश भर के स्वतंत्रता सेनानियोंका इलाहाबादमें आश्रय स्थल था।स्वतंत्रता संग्रामके दौरान कई महत्वपूर्ण बैठकें इसी आनन्द भवन में हुई हैं।

नेहरूने कांग्रेसके लाहौर अधिवेशनकी अध्यक्षता की थी,जिसमें गांधीजी के मार्गदर्शन में पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।गांधीने नेहरू को अपना राजनैतिक वारिस घोषित किया था।इसीलिए,15अगस्त,1947को भारतको आजादी मिलनेके पहले 1946में बनी अंतरिम सरकारके प्रधानमंत्री भी नेहरू ही थे।

नेहरूकी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय छवि थी,वह पूरे मुल्कमें कहीं से भी चुनाव लड़ और जीत सकते थे,लेकिन 1952-64तक उन्होंने लोकसभा चुनाव उत्तरप्रदेशके फूलपुरसे 3बार लड़ा और जीता।उनके दामाद फिरोज गांधी रायबरेली के सांसद थे।

नेहरूकी बेटी इंदिरा गांधी जनवरी,1966में प्रधानमंत्री बनी और 1967में पहली बार चुनावी मैदानमें उतरीं,तो पति फिरोज गांधीकी सीट रायबरेली को ही चुना। हालांकि,1977में रायबरेलीमें चुनाव हार गईं और चिकमगलूर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थी।1980का आमचुनाव इंदिराने रायबरेली के साथ-साथ मेदक(आंध्रप्रदेश)से भी लड़ा और जीता।लेकिन,जब एक सीट छोड़नेकी बात आई तो उन्होंने मेदक सीट छोड़ा,लेकिन रायबरेली सीटसे ही सांसद रहीं।छोटे भाई संजय गांधी,सांसद,अमेठी की हवाई दुर्घटनामें मृत्युके बाद राजीव गांधी 1981-91तक अमेठीसे सांसद रहे।सोनिया गांधी 1999-2004तक अमेठीसे सांसद रहीं और 2004-वर्तमान तक रायबरेली की ही सांसद हैं।
2004-19तक राहुल गांधी अमेठीसे सांसद रहे हैं। वर्तमान में वह वायनाड से सांसद हैं।

मेनका गांधी पीलीभीत (1989-91,1996-2009, 2014-19),आंवला(2009-14),सुल्तानपुर(2019-
वर्तमान) से सांसद रहीं हैं,तो उनके पुत्र वरूण गांधी
पीलीभीत(2009-14,2019-वर्तमान),सुल्तानपुर
(2014-19) सांसद हैं।

उपरोक्त सूचनाओंसे स्पष्ट है कि नेहरूका सार्वजनिक योगदान,उनकी छवि,उनकी लोकप्रियता ऐसी रही है कि मृत्युके 57साल बाद भी वह भारतीय सार्वजनिक जीवन में प्रासंगिक बने हुए हैं।

एक तरफ,उनके बादकी तीन पीढ़ियां उनकी
लोकप्रियताके बलबूते,उनके विरासतके वारिस होने की
वजह से उत्तरप्रदेश में ही राजनैतिक रूप से सक्रिय रहीं हैं,सत्ता पर काबिज होती रही हैं,तो दूसरी तरफ भाजपा आज भी आतंकित और आशंकित रहती है और झूठ,मनगढ़ंत बातोंके आधार पर उनको बदनाम करने की जरूरत महसूस करती है।

अमरीकामें आप जॉर्ज वॉशिंगटनके विरुद्ध कुछ नहीं बोल सकते,तो ब्रिटेनमें तमाम मजबूत लोकतंत्रके बावजूद क्राउनकी प्रतिष्ठा महफूज है।कांग्रेसमें हार्दिक पटेल,जिग्नेश मेवाणी और कन्हैया कुमारके रूपमें एक युवा फौजने दस्तक दी है।यह नई पीढ़ी आन्दोलन की उपज है और उत्तरप्रदेशकी धरती पर किसान आन्दोलन पूरे शबाब पर है।यही नहीं, अमिताभ ठाकुर,सूर्यप्रताप सिंह,एस आर दारापुरी,नूतन ठाकुर आदि के नेतृत्वमें सोशल एक्टीविस्टोंका समूह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव,2022में अधिकार सेना के बैनर तले अपनी प्रासंगिकता स्थापित करने के लिए बेचैन है।अगर,किसान आन्दोलन,अधिकार सेना और कांग्रेस पार्टीमें मजबूत समन्वय स्थापित हो गया, उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2022में भाजपा द्वारा नेहरूको बदनाम करनेके कुत्सित प्रयासको चुनावी मुद्दा बनाया,तो भाजपा सिमटती हुई दिखाई देगी।

 

 

 

 

 

पंकज श्रीवास्तव

वरिष्ठ पत्रकार

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