दृष्टिकोण

आवश्यकता: महिला सशक्तिकरण के लिए राजनैतिक पहल की :- पंकज कुमार श्रीवास्तव

Written by Vaarta Desk

विश्व स्तर पर,लैंगिक असमानता-जेंडर इनइक्वेलिटी- जिन 129देशोंमें चिंताजनक स्थितिमें हैं,उनमें हमारा स्थान 95है।देशमें 2020में बलात्कारके औसतन 77मामले प्रतिदिन दर्ज किए गए और कुल 28046 मामले सामने आए।सबसे ज्यादा मामले राजस्थानमें और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेशमें दर्ज हुए।पिछले साल देशमें महिलाओंके खिलाफ अपराधके कुल 371503 मामले दर्ज हुए, जो 2019में 405326 और 2018में 378236 थी।

1991में पुरुषोंकी साक्षरता 64.13% और महिलाओंकी साक्षरता मात्र 39.29% ही थी।वर्ष 2001में देशकी साक्षरता दर 64.4% थी,इसमें पुरुषोंकी साक्षरता दर 75.85% और महिलाओंकी 54.16%थी।2011में कुल साक्षरता दर 74% है,जिसमें पुरुषोंकी साक्षरता दर 82%और महिलाओंकी साक्षरता दर बढ़कर 65.5% हो गई।
अगर महिला श्रमशक्तिका प्रभावशाली उपयोग किया जाए,तो भारतकी विकास दर दहाईमें होगी।खेद का विषय है कि रोजगारके बारेमें बात करते समय पुरूषोंके बेरोजगार होने पर चिंता व्यक्त की जाती है।चिंताजनक है कि कुल श्रमशक्तिमें महिलाओं योगदान तेजीसे कम हुआ है।2011-12 में महिला सहभागिता दर 25.51% थी।श्रमिक सहभागिता दरमें पिछले कुछ वर्षोंमें गिरावट आई है और यह दर दक्षिण एशियामें पाकिस्तानके बाद सबसे कम है।नेपाल,भूटान और बांग्लादेशमें जनसंख्याके अनुपातमें महिला रोजगार ज्यादा है।भारतके सकल घरेलू उत्पाद (GDP)में महिलाओंका योगदान मात्र 17%है।अगर, ज्यादा महिलाएं श्रममें भागीदारी करे तो भारतकी GDP 27% तक हो सकती है।एक विडंबना यह भी है कि महिलाएं अपने घर-परिवारमें घरेलू काम ही नहीं खेती-बाड़ी,पशुपालन आदिमें दिन-रात लगी रहती हैं, लेकिनउनके इस श्रमकी कोई भी कीमत नहीं आंकी जाती और न ही उन्हें कामका यथेष्ट श्रेय मिलता है।

ये आंकड़े इस बातकी तस्दीक करते हैं कि अपने देश में महिला सशक्तिकरणकी दिशामें गंभीर प्रयास की जरूरत है।महिला सशक्तिकरण राष्ट्रीय विकासका प्रबल आधार हो सकता है।
महिला सशक्तीकरण,भौतिक या आध्यात्मिक,शारिरिक या मानसिक,सभी स्तर पर महिलाओंमें आत्मविश्वास पैदाकर उन्हें सशक्त बनानेकी प्रक्रिया है।महिला सशक्तिकरणको बेहद आसान शब्दोंमें परिभाषित करें, तो इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है,जिससे वह अपने जीवनसे जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकें और परिवार और समाजके निर्णयोंमें भी उनकी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भूमिका हो।समाजमें वास्तविक अधिकारको प्राप्त करनेके लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है।महिलाओंका पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देशके बारेमें सोचने की क्षमताका विकास होना महिला सशक्तिकरण की पहचान है।वह समाजमें कई समस्याको पुरुषोंसे बेहतर ढंगसे निपट सकती है।
वैश्विक स्तर पर नारीवादी आंदोलनों और यूएनडीपी आदि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओंने महिलाओंके सामाजिक समता,स्वतंत्रता और न्यायके राजनीतिक अधिकारोंको प्राप्त करनेमें महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।आजादीके सात दशक बीत जानेके बाद देशमें शिक्षा,स्वास्थ्य, औद्योगीकरण,रोजगार,नगरीकरणके क्षेत्रमें वृद्धिके साथ ही समाजमें सामाजिक-राजनीतिक चेतना विकसित हुई है,उसके सापेक्ष महिलाओंकी स्थिति उतनी संतोषप्रद नहीं दिखती।

सच यह भी है कि महिलाएं आज सिर्फ घर गृहस्थी को संभालने तक ही सीमित नहीं हैं,बल्कि हर क्षेत्रमें उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज की है.व्यावसायिक क्षेत्र हो या पारिवारिक,महिलाओंने यह साबित किया है कि वे हर काम कर सकती हैं।कई क्षेत्र,जिन पर कभी पुरूषोंका ही वर्चस्व हुआ करता था,वहां भी महिलाओं ने सार्थक उपस्थिति दर्जकी है.उच्च शिक्षा प्राप्त और आत्म-निर्भर हो जाने के कारण वह आत्मविश्वाससे अपने निर्णय लेने लगी हैं.महानगरोंमें महिलाएं शिक्षित, आर्थिक रुपसे स्वतंत्र,विभिन्न क्षेत्रोंमें ऊंचे पदों पर कार्यरत और आधुनिक विचारधारावाली महिलाएं हैं,जो पुरुषोंके दमनको सहन नहीं करतीं.उन्होंने,जो सम्मानजनक स्थिति प्राप्त की है,वह प्रशंसनीय है.दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकोंमें आज भी नारीके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा रहता है.गांवोंमें महिलाएं ना तो अपने अधिकारोंको जानती हैं और ना ही उनके महत्वको समझती हैं.

विकासकी मुख्यधारामें महिलाओंको लानेके लिये सरकार द्वारा कई कानून बने हैं,कई योजनाएं चलाई गई हैं।जैसे कि-
1.समान वेतनका अधिकार
2.कार्य-स्थलमें उत्पीड़नके खिलाफ कानून-इसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण की शिकायत दर्ज होने पर महिलाओंको जांच लंबित रहने तक 90दिन का पेड लीव दी जाएगी।
3.कन्या भ्रूण-हत्याके खिलाफ अधिकार-गर्भाधान और प्रसवसे पूर्व पहचान करनेकी तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूणहत्याके खिलाफ अधिकार देता है।
4.संपत्ति पर अधिकार-हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियमके तहत नए नियमोंके तहत पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनोंका बराबरका हक है।
5.गरिमा और शालीनताके लिए अधिकार-किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है,तो कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिलाकी उपस्थितिमें ही की जानी चाहिए।

महिला सशक्तिकरणकी कुछ प्रमुख योजनाएं
1.बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ योजना
2.वन स्टॉप सेंटर स्कीम
3.महिला हेल्पलाइन योजना
4.उज्जवला
5.कार्यशील महिला हॉस्टल
6.स्वाधार गृह योजना
7.नारी शक्ति पुरस्कार योजना
8.महिला शक्ति केन्द्र
9.निर्भया योजना
महिलाओंके प्रति अपराधके सभी मामलोंमें प्राथमिकी दर्ज करनेमें किसी भी तरहका विलम्ब न हो,यह प्रयास जारी है।महिलाओंके प्रति अपराध प्रकोष्ठोंके हेल्प-लाइन नम्बरोंको बड़े-बड़े अंकोंमें अस्पतालों/स्कूलों/कालेजों के परिसरों और अन्य उपयुक्त स्थानों पर प्रदर्शित किया जा रहा है।
सरकारी उपायोंको और सुदृढ़ करनेकी जरुरत है,ताकि महिलायें सुरक्षित महससू कर सकें,मानवाधिकारोंका उपयोग कर सकें और जिस गौरव और सम्मानित जीवन जीनेकी वे पात्र हैं उसे जी सकें।
महिला सशक्तिकरणमें समाजकी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है।जब तक,समाज सकारात्मक सोचके साथ आगे नहीं बढ़ेगा,तब तक महिलाओंके विकास और सशक्तिकरणकी बातें बेमानी हैं।मीडिया और संचार माध्यमोंकी भी महिला विकासमें अहम भूमिका है।मीडिया और संचार माध्यम इस दिशा में सक्रिय हुए हैं और उनका सकारात्मक परिणाम सामने आया है।दिल्लीके निर्भया कांडके बाद उसे राष्ट्रीय फलक पर प्रमुख मुद्दा बनानेमें सराहनीय भूमिका मीडिया और अन्य संचार साधनोंने निभाई,वह निश्चित ही प्रशंसनीय है।सफल महिला उद्यमीके अनुभवोंको साक्षात्कार, फीचर,आलेख व वृत्तचित्रोंके जरिये समाजमें जागृति लानेका महत्त्वपूर्ण कार्य हो रहा है।इनके अलावा सिनेमा,नाटक,कठपुतली और नुक्कड़ नाटक जैसे दूसरे जनसंचार माध्यम भी महिला सशक्तिकरणके प्रबल आधार बने है।


नीतीश कुमारके नेतृत्वमें बिहारने महिला सशक्तिकरण की दिशामें गंभीर प्रयास किए हैं।स्कूली छात्राओंको साइकिल,ड्रेस आदि।स्नातकोत्तर स्तर तक मुफ्त शिक्षा आदि।
किसी भी स्वस्थ,जीवन्त लोकतंत्रमें राजनैतिक पहलकी अपनी प्रासंगिकता है।बिहारमें पंचायत चुनावोंमें 50% सीटें महिलाओंके लिए आरक्षित की गई।दशकों से यह प्रयास जारी है कि संसद और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओंके लिए आरक्षित की जाए, लेकिन अभी तक यह कानून नहीं बन सका। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2022के लिए कांग्रेस पार्टीने 40%टिकट महिलाओंको देनेका वादा किया है। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2022में अगर पर्याप्त संख्या में महिलाएं विधायक बनती हैं,तो महिला सशक्तिकरणकी दिशामें यह महत्वपूर्ण कदम होगा।

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