रेलवे परोस रहा अपने यात्रियों को अधोमानक पानी, भ्रष्ट व्यवस्था का परिणाम
गोण्डा। एक तरफ जहां मोदी सरकार यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए जी जान लगा रहा है वहीं रेलवे जेसे बडे और जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारी सरकार की इस मंशा को पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे। मामला जनपद के रेल विभाग का है जहां रेल अधिकारियों और विषेश कर जीआरपी के अधिकारियों की अवैध वेन्डरों की मिलीभगत से यात्रियों को अधोमानक पूरी तरह असुरक्षित पानी पीने को विवश किया जा रहा है।
जी हां हम यह कहानी बता रहे है गोण्डा रेलवे स्टेशन की जहां जीआरपी की शह पर बनबढ हो चुके अवैध वेण्डर धडल्ले से अधोमानक पानी की बिक्री खुलेआम कर रहे है हैरानी तो इस बात की होती है कि जीआरपी थाने से चन्द कदमों की दूरी पर इन अवैध वेण्डरो नें ऐसे पानी का स्टोर बना रखा है लेकिन जीआरपी के अधिकारी इस गोरखधंधे से बेखबर है इतना ही नहीं जब उनसे इस गोरखधंधे के बावत जानकारी चाही गयी तो उन्होनें अपने ढीठपने का प्रमाण देते हुए मामले को अपने कार्यक्षेत्र से बाहर होने का बहाना बना दिया। हद तो तब हो गयी जब जीआरपी प्रभारी के बाहर होने के कारण मौके पर मौजूद अधिकारियों से जब कैमरे पर इस बावत बयान चाहा गया तो वे कुर्सी छोड कर फरार होने का भी प्रयास करने लगे।
मामला मात्र अधोमानक पानी का ही नहीं है जीआरपी के भ्रष्ट आचरण ने इन अवैध वेन्डरों के हौसले इस कदर बढा रखे है कि वे रेलवे स्टेशन पर पूरी तरह प्रतिबधि्ांत नशीले पदार्थों को भी यात्रियों को परेसने से बाज नहीं आ रहे हैं। सोमवार को हमारी टीम द्वारा जब इस अवैध स्टोर का जायजा लिया गया तो वहां पर अधोमानक पानी के अलावा एक बोरे में भरे तम्बाखू के कई बडे बडे पैकेट भी दिखायी दिये। जानकारों की माने तो यहां हम जिस पानी के पैकेट को दिखा रहे है वह मात्र 90 रूप्ये पैकेट मे स्थानीय बाजार में बडी ही आसानी से उपलब्ध है जिसमें 12 बोतले होती है और उसे यात्रियों कों प्रति बोतल 20 रूप्ये में बेचा जाता है अर्थात मात्र 90 रूप्ये में खरीदी गयी बोतल के यात्रियों से 240 रूप्ये वसूले जाते है जिसमें से एक बडी धनराशि जीआरपी अधिकारियों के जेबो के हवाले होती है। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि इस गोलमाल और भ्रष्टाचार पर पहले भी जीआरपी अधिकारियों के वार्तालाप की कोशिश की गयी है परन्तु हर बार वे कोई न कोई बहाना बनाकर बयान देने से बचने के साथ ही कार्यवाही से भी बचते रहे है।
अब इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि मोदी सरकार के प्रयासो को जनपद के जीआरपी अधिकारी अपने भ्रष्ट आचरण से किस तरह पलीता लगा रहे है और यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को किस तरह धता बता रहे है।