लखनऊ। भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में महारानी लक्ष्मी बाई की जन्म जयंती के अवसर पर आज मनीपाल पब्लिक स्कूल, ओमेक्स सिटी में ‘महिला सशक्तीकरण और स्वाबलंबी दुर्गा शक्ति” संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने किया।संगोष्ठी में मुख्य अतिथि आरटीआई आयुक्त श्रीमती किरण बाला चौधरी थी, विशिष्ट अतिथि पुलिस उपायुक्त मनीषा सिंह, वाणिज्य कर सहायक आयुक्त श्रीमती सौम्या जयसवाल, सहायक आयुक्त पुलिस श्रीमती स्वाति चौधरी और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मिथिलेश सिंह थी। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे थे। संगोष्ठी में विशेष तौर से आमंत्रित मलिहाबाद की विधायक श्रीमती जया कौशल की गरिमामय उपस्थिति रही उन्होंने बच्चों को नशा मुक्ति स्लोगन और पेंटिंग प्रतियोगिता के सर्टिफिकेट व पुरस्कार वितरित किए, इस प्रतियोगिता को बच्चों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए बड़े स्तर पर करने का आश्वासन दिया ।
मुख्य अतिथि श्रीमती किरण बाला चौधरी ने कहा कि आज के संदर्भ में जब महिला सशक्तिकरण अभियान चल रहा है तब महारानी लक्ष्मीबाई का स्मरण अत्यधिक प्रेरणादायक है। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करें और महारानी लक्ष्मी बाई की तरह संघर्ष करके उस लक्ष्य को प्राप्त करने का ध्येय बनाएं।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती मीनाक्षी सिंह ने कहा कि महारानी लक्ष्मी बाई का जीवन इस बात का उदाहरण है कि बिना संघर्ष के सफलता नहीं मिलती और सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। पुलिस अधिकारी मीनाक्षी सिंह ने बच्चों को यातायात से संबंधित कई मूलभूत जानकारियां दी और बच्चों से यातायात के नियमों का पालन अनुशासन के साथ करने की अपील की।
भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने भारतीय नागरिक परिषद के उद्देश्यों के बारे में लोगों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिक परिषद क्रांतिकारियों और अमर बलिदानियों के स्मरण का वर्षभर कार्यक्रम चलाता है और भारतीय नागरिक परिषद के कार्यक्रम के कैलेंडर की जानकारी उन्होंने दी।
मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई की आयु मात्र 23 वर्ष से भी कम थी किंतु जब भी महिला सशक्तीकरण की चर्चा होती है और स्वावलंबी दुर्गा शक्ति का नाम आता है तो सबसे पहले और सबसे ऊपर महारानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वयमेव आ जाता है। महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने पति के निधन के बाद जिस प्रकार अपने राज्य की रक्षा करते हुए ब्रिटिश हुकूमत को लोहे के चने चबवा दिये, दुर्गा शक्ति का इससे बड़ा कोई दूसरा उदाहरण इतिहास में दिखाई नहीं देता। वीरांगना लक्ष्मीबाई की तलवार के पानी ने अंग्रेजों में कपकपी उत्पन्न कर दी थी। मात्र 9 दिन के संघर्ष में उन्होंने अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। बड़े-बड़े सेना अधिकारी युद्ध में पीठ दिख मैदान छोड़ भागने को मजबूर थे। अंग्रेजों के प्रबल सेनापति जनरल ह्यूरोज सपने में भी लक्ष्मीबाई के पराक्रम को देखता था। उसके उद्गार थे लक्ष्मीबाई विद्रोहियों में सर्वाधिक वीर और सर्वश्रेष्ठ दर्जे की थी। वास्तव में जब शत्रु प्रशंसा करता है तभी दुर्गा शक्ति का पराक्रम पता चलता है।
उन्होंने कहा स्वावलंबन और दुर्गा शक्ति का ऐसा उदाहरण विश्व के अन्य किसी देश के सौभाग्य में नहीं है। इटली की राज्यक्रांति में पराक्रम के उत्कृष्ट नमूने देखने को मिलते हैं परंतु अपने वैभव काल में भी इटली लक्ष्मीबाई का निर्माण नहीं कर सका ।वीर सावरकर ने कहा अट्ठारह सौ सत्तावन में हमारी मातृभूमि के हृदय में ज्योति प्रज्वलित हुई उसने आगे चलकर महा विस्फोट कर दिया। मेरठ से उठी चिंगारी बारूद का भंडार बन गई ,परंतु बाबा गंगादास की कुटिया के पास जली चिता की ज्वाला 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की ज्वालामुखी से निकली सबसे तेजस्वी ज्वाला थी ।उन्होंने कहा कि आज महारानी लक्ष्मी बाई की जन्म जयंती के अवसर पर उनसे प्रेरणा लेकर नारी शक्ति स्वाभिमान और स्वावलंबन के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ने का संकल्प ले तो महिला सशक्तिकरण का इससे बड़ा मार्गदर्शक उदाहरण और कोई नहीं हो सकता।
मनीपाल स्कूल की प्रधानाचार्य स्मिता सिंह ने बच्चों को स्वावलंबी बनने तथा मन लगाकर पढ़ने को कहा ताकि सभी बच्चे विशेषकर बेटियां स्वावलंबी बन सके। मनीपाल विद्यालय की तरफ से शालिनी पांडे उप प्रधानाचार्य, उदय सिंह,कंचन सिंह ,रितु वाही, रचना दुबे, निष्ठा बाजपेई , संगोष्ठी में प्रतिभाग कर कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।
कार्यक्रम में शिव प्रकाश दीक्षित, अरुण श्रीवास्तव ,रेनू त्रिपाठी,सरोज बाला सोनी, व्यापार मंडल से राजीव शुक्ला और उनकी टीम, डाक्टर अनूप कुमार सिंह सहित प्रथमेश दीक्षित रुद्रांश श्रीवास्तव, भावना सोनी यशवीर सिंह बच्चों सहित सैकड़ों बच्चों ने सक्रिय प्रतिभाग किया।
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