गोण्डा। श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में भौतिक विज्ञान विभाग और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में “स्कोप ऑफ़ क्वांटम टेक्नोलॉजी इन नेचुरल साइंसेज” विषय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रथम तकनीकी सत्र में मंच की अध्यक्षता डॉ. अरविंद कुमार शर्मा, जंतु विज्ञान विभाग, साकेत कॉलेज, अयोध्या ने की। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रवींद्र कुमार, संयोजक प्रो. जितेंद्र सिंह, डॉ. अरविंद कुमार शर्मा और वनस्पति विज्ञान की सहायक आचार्य डॉ. रेखा शर्मा ने दीप प्रज्वलन करके सत्र का प्रारंभ किया। डॉ. अख्तर अली, एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, सेंटर ऑफ जेनेटिक डिसऑर्डर, बीएचयू वाराणसी ने चिकित्सा में क्वांटम तकनीक की भूमिका के महत्त्व को निरूपित किया। अपनी प्रयोगशाला में आनुवंशिक बीमारियों की पहचान करने वाले डॉ. अख्तर अली ने बताया कि क्वांटम डॉट्स का उपयोग आनुवंशिक बीमारियों के पहचान में अत्यंत सहायक है।
वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार दूबे ने अमेरिका से ऑनलाइन माध्यम से वानस्पतिक-जैव तकनीक शोध में क्वांटम तकनीक विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस सत्र का धन्यवाद ज्ञापन वक्तव्य-संकलक डॉ. शिशिर त्रिपाठी ने किया।
सम्मेलन का द्वितीय तकनीकी सत्र वाणिज्य के प्रो. बी. पी. सिंह की अध्यक्षता और प्रो. संजय कुमार पाण्डेय, गणित विभाग की सह अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ। डॉ. एस. के. मिश्र ने बार्सिलोना स्पेन से ऑनलाइन माध्यम द्वारा सेंसिंग और अन्य अनुप्रयोग के लिए ऑप्टिकल फाइबर और नॉवेल मैटेरियल का परीक्षण विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो. वेंकटेश सिंह, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, भौतिक विज्ञान विभाग, दक्षिण बिहार गया
केंद्रीय विश्वविद्यालय ने क्वांटम के परिप्रेक्ष्य में डार्क मैटर की संरचना और उसकी विविध स्थितियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रतिवेदक डॉ. रवि प्रकाश ओझा ने वक्तव्य के सार को प्रस्तुत करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। सत्र का संचालन सम्मेलन के सह संयोजक संतोष कुमार श्रीवास्तव ने किया।
सम्मेलन के तृतीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर श्रवण कुमार श्रीवास्तव ने और सह अध्यक्षता प्रो. राजीव रंजन, वनस्पति विज्ञान विभाग, एमएलके कॉलेज बलरामपुर ने की।
डॉ. पी. के. सिंह ने अलरिका, स्वीडन से औषधियों की खोज की चुनौतियों को बताते हुए चिकित्सकीय औषधियों के शोध में क्वांटम तकनीक की महत्ता एवं भूमिका पर ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किया। डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने फ्रांस से एल सिस्टीन एंड लिक्विड क्रिस्टल की सेलेक्टिव ऑप्टिकल सेंसिंग पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। किसान महाविद्यालय बहराइच से होलेन्द्र कुमार तिवारी ने भी क्वांटम तकनीक की बारीकियों पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि क्वांटम तकनीक आधारित कंप्यूटर ने समय को अधिक गतिशील कर दिया है। सत्र का प्रतिवेदन डॉ. पुनीत कुमार, सहा. आचार्य रसायन विज्ञान विभाग ने किया। संचालन आयोजन सचिव संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
समापन सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने की। इस सत्र के विशिष्ट अतिथि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक प्रो. डी. के. द्विवेदी रहे। उन्होंने फोटोनिक क्रिस्टल फाइबर आधारित सतहों और बायोसेंसर पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। महाविद्यालय प्रबंध समिति की उपाध्यक्ष वर्षा सिंह और सचिव उमेश शाह ने दो दिवसीय सम्मेलन की सफलता हेतु आयोजक मण्डल को धन्यवाद दिया। सम्मेलन में विश्व के चार देशों एवं देश के आठ प्रदेशों से 103 शोध पत्र प्राप्त हुए, जिनमें चयनित 53 शोध पत्रों की प्रस्तुति संपन्न हुई। इन चयनित शोध पत्रों को ई-बुक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।
उनके द्वारा प्रतिभागियों को प्रतिभागिता एवं शोध पत्र के वाचन हेतु प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
प्राचार्य प्रोफेसर रवींद्र कुमार द्वारा इस सम्मेलन में पधारे सभी महानुभावों एवं मूर्धन्य विद्वानों का अभिनंदन किया गया। सम्मेलन के संयोजक एवं भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जितेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम की सफलता के लिए आभार व्यक्त किया।कॉन्फ्रेस की रिपोर्टिंग प्रो जय शंकर तिवारी , डॉ वंदना भारतीय टेक्निकल टीम का कार्य डॉ अंकित मौर्य , रोहित सिंह राकेश मिश्रा ने किया ।
सम्मेलन के दूसरे दिन महाविद्यालय के विज्ञान, कला, वाणिज्य, कृषि एवं शिक्षा संकाय के आचार्य, सहाचार्य एवं सहायक आचार्य तथा अन्य विश्वविद्यालयों, महाविद्यालय के विद्वान, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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