उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

8 जनवरी को बिजली कर्मी करेंगे एक दिवसीय हड़ताल, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आवाहन

लखनऊ ! बिजली के निजीकरण के विरोध में व अन्य ज्वलन्त समस्याओं के समाधान हेतु देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ उप्र के सभी बिजली कर्मचारी 08 जनवरी 2020 को एक दिन की हड़ताल करेंगे:

केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बिजली के निजीकरण की दृष्टि से इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में किये जा रहे प्रतिगामी संशोधनों के विरोध में तथा अन्य ज्वलंत समस्याओं के समाधान हेतु उप्र के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर एवं अभियन्ता आगामी 08 जनवरी, 2020 को देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ एक दिन की हड़ताल करेगें। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने हड़ताल की नोटिस आज केन्द्र व राज्य सरकार को प्रेषित कर दी है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा भेजी गयी नोटिस में मुख्यतयः 11 मांगें सम्मिलित हैं। संघर्ष समिति की मांग है कि बिजली निगमों का एकीकरण कर केरल व हिमाचल प्रदेश की भांति उप्रराविप लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये, बिजली के निजीकरण की दृष्टि से इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में किये जाने वाले समस्त संशोधन वापस लिये जाये, श्रम कानूनों में किये जा रहे समस्त प्रतिगामी संशोधन वापस लिये जायें, आगरा का विद्युत वितरण फ्रेन्चाईजी करार व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाये, उप्र पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उप्र पाकालि सीपीएफ ट्रस्ट की डीएचएफएल में निवेश की गयी धनराशि के भुगतान हेतु प्रमुख सचिव(ऊर्जा) द्वारा 23 नवम्बर 2019 को जारी आदेश पर गजट नोटीफिकेशन जारी किया जाये जिससे कर्मचारी निश्चिन्त होकर अपने कार्य में पूर्ण निष्ठा से जुटे रह सके। घोटाले के दोषियों पूर्व चेयरमैनों(जो ट्रस्ट के भी चेयरमैन रहे) व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाये व मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुपालन में सीबीआई जांच तत्काल प्रारम्भ करायी जाये, कर्मचारियों को रिफाॅर्म एक्ट 1999 एवं ट्रांसफर स्कीम 2000 के तहत मिल रही रियायती बिजली की सुविधा (एलएमवी 10) पूर्ववत बनाये रखी जाये व मीटर लगाने के आदेश वापस लिये जायें, सरकारी क्षेत्र के बिजली उत्पादन गृहों का नवीनीकरण/उच्चीकरण किया जाये और निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीद हेतु सरकारी बिजली घरों को बन्द करने की नीति समाप्त की जाये, बिजली कर्मियों की वेतन विसंगतियों का तत्काल निराकरण किया जाये, वर्ष 2000 के बाद भर्ती हुए सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेन्शन प्रणाली लागू की जाये, सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाये और नियमित प्रकृति के कार्यों में संविदा/ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर संविदा कर्मियों को वरीयता देते हुए नियमित भर्ती की जाये, बिजली कर्मचारी सुरक्षा अधिनियम शीघ्र बनाया जाये।

संघर्ष समिति की आज लखनऊ में हुई बैठक में कहा गया कि विद्युत परिषद के विघटन व निजीकरण की नीति से हुई विफलताओं से सबक लेने के बजाये केंद्र सरकार निजीकरण करने की दृष्टि से इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में आगामी बजट सत्र में प्रतिगामी संशोधन करने पर आमादा है जिसमे बिजली आपूर्ति कई निजी कंपनियों को देने की व्यवस्था है। यदि यह बिल पारित हो गया तो बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कम्पनियाँ मुनाफे वाले बड़े उपभोक्ताओं को बिजली देकर भारी मुनाफा कमाएंगी जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों, गरीबों और आम उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर केवल घाटे में रहेगी और इस प्रकार सरकारी बिजली आपूर्ति कम्पनियों का दीवाला निकल जायेगा और क्रास सब्सिडी खत्म हो जाने से अंततः आम उपभोक्ताओं का टैरिफ बढ़ेगा।

संघर्ष समिति की आज की बैठक में प्रमुख रूप से इं ए के सिंह, जी के मिश्रा, राजीव सिंह, जय प्रकाश, गिरीश पाण्डे, सदरूद्दीन राणा, सोहेल आबिद, विनय शुक्ला, शशिकान्त श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव, डी के मिश्रा, सुनील प्रकाश पाल, राम प्रकाश, जी वी पटेल, वारिन्दर शर्मा, महेन्द्र राय, वी सी उपाध्याय, परशुराम, पी एन तिवारी, पी एन राय, ए के श्रीवास्तव, कुलेन्द्र प्रताप सिंह, मो. इलियास, के एस रावत, भगवान मिश्र, करतार प्रसाद, आर एस वर्मा, पी एस बाजपेयी, अंकुर भारद्वाज, नितिन शुक्ला, वी के सिंह ‘कलहंस’ मौजूद रहे।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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