वरिष्ठ अधिवक्ता की कोर्ट को जूएं का अडडा बताने की टिप्पणी बैठ रही सटीक
दिल्ली। पिछने दिनों गुजराज हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा कोर्ट पर की गयी टिप्पणी जिसमें उन्होनें कोर्ट को जूएं का अडडा बताया था और जिस पर उनपर कार्यवाही करते हुए उनसे वरिष्ठता का तमगा कोर्ट द्वारा छीन लिया गया था, आज वह टिप्पणी पूरी तरह चरितार्थ होती दिख रही है।
हुआ यूं कि आज दिल्ली की एक निचली अदालत ने राजनेताओं द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के एक मामलें में इधर सजा सुनाई उधर हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। क्या इस की तेज कार्यावाही किसी गरीब या साधन सम्पन्न पीडित के लिए हो सकती है, कदापि नहीं। न्यायालयों के इसी तेज तर्रार कार्यवाही पर गुजरात के वरिष्ठ अधिवक्ता ने टिपप्पणी की थी। जो आज सही साबित हो रही है।
मामला वीस वर्ष पुराना है जब समता पार्टी की अध्यक्ष रह चुकी नेता जया जेटली को रक्षा सौदे मंें किये गये भ्रष्ट आचरण पर दिल्ली की निचली अदालत ने चार वर्ष की सजा के साथ एक लाख रूप्ये का जुर्माना लगाया और यह भी कहा की आज शाम तक उन्हे आत्मसर्मपण करना होगा, श्रीमती जेटली के इस भ्रष्टाचार में उनके अलावा उनके एक सहयोगी गोपाल पचेरवाला और सेवानिवृत मेजर जनरल एसपी मुरगई को भी सजा सुनाई गयी।
यह मामला तब सामने आया जब एक न्यूज वेबसाइट ने इस पूरे मामले का स्टिगं किया, वेबसाइट ने एक फर्जी कम्पनी बनाकर जया जेटली सहित अन्य दो को एक काल्पनिक सौदे की मंजूरी के लिए रिश्वत दी थी। मामले में जया ने तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीज के आवास पर काल्पनिक कम्पनी के प्रतिनिधि मैथ्यू सैम्यूअल से 2 लाख तो मेजर जनरल ने 20 हजार की रिश्वत ली थी।
गौर तलब है कि इसी मामले के खुलासे के बाद तत्कालीन रक्षा मत्री जार्ज फर्नान्डीज से रक्षा मंत्रालय का कार्यभार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वापस ले लिया था तथा पार्टी अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को भी इसी मामले में घसीटा गया था परन्तु बाद में उन्हे इस मामले से बरी मान लिया गया था।
निचली अदालत द्वारा इधर सजा सुनाई गयी और उपरी अदालत द्वारा तत्काल सजा पर रोक लगाना क्या इस बात को साबित नही करता कि न्प्याय केवल बडे लोगो के लिए है छोटे लोगों को न्याय के लिए प्रयास करना उनकी जिन्दगी समाप्त कर सकता है परन्तू उन्हे न्याय नही दे सकता। कुछ इन्ही बातों को लेकर गुजरात के वरिष्ठ अधिवक्ता ने पिछले दिनों कोर्ट पर टिप्पणी की थी जिसकी सजा उनकी वरिष्ठता को समाप्त कर कोर्ट ने अपनी खीज निकाली थीं।