अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल

सामने आया पूर्व प्रधान का भ्रष्टाचार, छत भी नही पडी और दरक गयी पंचायत भवन की दीवारें

जिलाधिकारी तक पहुचीं जांच और कार्यवाही की शिकायत

पूर्व प्रधान ने जिम्मेदारी से पल्ला झाडते हुए दिया चैकानें वाला बयान

गोण्डा। पंचायत चुनाव की समाप्ति ओैर नये प्रधानों के कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही पूर्व प्रधानों के भ्रष्ट आचरण और कार्यशैली की परते उखडने लगी है। ऐसा भी नही है कि इन भ्रष्ट कारनामों मे ंमात्र प्रधान ही दोषी है उसके साथ साथ सचिव और सम्बधिंत विभागों के कर्मचारी भी उतने ही दोषी है। इसी तरह का ताजा मामला विकास खण्ड झझरी के ग्राम सीहागावं का है जहंा पंचायत भवन की दीवारें तो उठा दी गयी परन्तु छत नही डाली गयी, बिना छत के खडे इस ढाचें की दीवारें तथा बीम पूरी तरह से दरक रही है जिन पर छत डाला जाना असम्भव है। पूर्व प्रधान के इस कारनामें की शिकायत वर्तमान प्रधान द्वारा जिलाधिकारी तक पहुच चुकी है। खास बात तो यह है कि पूर्व प्रधान ने अपने इस भ्रष्ट आचरण के लिए अपने को पाक साफ बताते हुए सारा दोष सेके्रटरी के सिर मढ दिया है।

प्रकरण जनपद के विकास खण्ड झंझरी के ग्राम सीहागांव का है। जहंा विगत पंचायत चुनावों के बाद प्रधान पद पर आसीन हुए राजू ने जब निर्माणाधीन पचंायत भवन को पूर्ण कराने की कोशिश की तो उसकी हालत देख उनकी हिम्मत जवाब दे गयी। निर्माणाधीन पंचायत भवन की दीवारें कई जगह से दरक चुकी थी, बीम और लिन्टर एक तरफ को झुक चुके थे। ऐसी स्थिति में इस ढांचें पर छत डालना तो दूर इस भवन के पास जाना भी जानलेवा साबित हो सकता था।

पंचायत भवन के निर्माण में बरती गयी लापरवाही और भ्रष्टाचार के लिए प्रधान राजू ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर हुए भ्रष्टाचार से अवगत कराते हुए लिखा है कि ऐसी स्थिति में पंचायत भवन का निर्माण पूर्ण कराना असंभव है। उन्होनें पंचायत भवन के निर्माण में हुयी अनियमितता तथा भ्रष्टाचार की जांच कराने तथा उसमे दोषी पूर्व प्रधान तथा अन्य सम्बधिंत कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही किये जाने की मांग की है। पत्र मे उन्होनंें यह भी साफ किया है कि इस निर्माण में पूर्व प्रधान सहित कर्मचारियों ने सरकारी धन का बंदरबांट किया है, पचायत भवन का तकनीकी टीम द्वारा जांच कराकर दोषियों से धन की रिकवरी तथा उनके विरूद्व कडी कार्यवाही किये जाने की जरूरत है।

खास बात तो यह है कि जब पूर्व प्रधान धनीराम वर्मा से इस मामले पर चर्चा की गयी तो उन्होनें चैकाने वाली बात बताते हुए कहा कि इसमे मेरा कोई दोष नही है यह काम सेक्रटरी ने कराया हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या बिना आपकी अनुमति और सहमति कि आपके गांव में सेक्रटरी कोई काम करा सकता है तो उनका कहना था कि हमने मना किया था लेकिन वह नही माना। इस पर उनके जब यह सवाल किया गया कि यदि वह अपनी मनमानी कर रहा था तो क्या आपने उच्चाधिकारियेां से इसकी कोई शिकायत की तो वह गोलमोल जवाब देने लगे।
पूर्व प्रधान की इस तरह के गोलमोल जवाब देने और अपनी कुकर्मो के लिए मात्र सेक्रेटरी को दोषी ठहराना इस बात का प्रमाण है कि इस भ्रष्टाचार मे पूरी तरह लिप्त हैं ओैर अपना दोष सेकेटरी के मत्थे मढना चाहते है।

फिलहाल भ्रष्टाचार ओर लापरवाही पर अपनी कडी कार्यवाही के लिए विख्यात हो चुके जिलाधिकारी मार्कन्डेय शाही इस शिकायत को कितनी गम्भीरता से लेते है और उस पर कितनी त्वरित कार्यवाही करते है यह देखना है।

 

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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