दृष्टिकोण

विनोद राय-एक नए माफीवीर ? :- पंकज श्रीवास्तव

Written by Vaarta Desk

विनोद राय 1972 बैच, केरल काडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। त्रिशूर जिले के कलेक्टर के तौर पर जिले की तरक्की के लिए उनके उल्लेखनीय कार्य के कारण उनका नाम सत्तन थम्परन रख दिया गया था.

विनोद राय ने अपनी स्नातक दिल्ली के हिंदू कॉलेज से की है. दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री ली है और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की है. वह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डॉ मनमोहन सिंह के छात्र भी रहे हैं।

7 जनवरी 2008 से 22 मई 2013 भारत के 11वीं नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला ब्लॉक आवंटन और राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए घोटाले का खुलासा किया था. इन खुलासों की वजह से उनकी सार्वजनिक सराहना हुई थी. फोर्ब्स पत्रिका द्वारा 2011में पर्सन ऑफ ईयर चुना गया। 2016 में इन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

लेकिन बहुचर्चित 2G घोटाले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और डीएमके नेता कनीमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी करते हुए कोर्टने कहा-अभियोजन किसी भी आरोपी के खिलाफ किसी भी आरोप को साबित करने में नाकाम रहा है। ‘सीबीआई ने दावा किया था कि राजा ने टेलिकॉम लाइसेंसों को आवंटित करने में मनमानी की और ‘पहले आओ-पहले पाओ’ सिद्धांत का उल्लंघन किया था। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा- संप्रग सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया था।

विनोद राय ने देशमें हुए घोटालों को लेकर 2014 में एक किताब ‘नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट:द डायरी ऑफ द नेशन्स कॉनसाइंस कीपर’ लिखी थी. इसमें उन्होंने लिखा था कि कोयला घोटाले से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का नाम हटाने के लिए संजय निरुपम उनके पास गए थे। जिसके बाद निरुपम ने विनोद राय पर मानहानि का मुक़दमा किया और अब विनोद राय ने अदालत में हलफनामा दायर कर लिखित माफ़ी माँगी है।

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